गोभी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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गोभी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

 

परिचय (Introduction)

 

गोभी का सब्जियों के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता है। गोभी का उपयोग ठंड के समय में अधिक होता है। इसमें कई प्रकार के रोगों को दूर करने की शक्ति होती है।

 

गुण (Property)

 

गोभी शरीर में शक्ति को बढ़ाती है तथा यह पित्त, कफ और खून की खराबी को दूर करती है। यह प्रमेह तथा सूजाक के रोग में बहुत लाभकारी होती है। खांसी, फोड़े-फुंसी वालों के लिए यह लाभकारी होती है। इसके पत्तों से निकाला हुआ रस मुंह में लेने से मसूढ़ों से निकलने वाले खून बंद हो जाता है तथा इसके पत्तों का काढ़ा गठिया रोग के लिए लाभकारी होता है।

 

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

 

गोभी का अधिक मात्रा में सेवन करने से कब्ज की शिकायत हो सकती है।

 

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

 

रक्तवमन (खूनी उल्टी):

 

फूलगोभी की सब्जी खाने से या कच्ची ही खाने से खून की उल्टियां बंद हो जाती हैं। क्षय रोगियों को गोभी को उपयोग नहीं करना चाहिये।

 

खूनी बवासीर:

 

खूनी बवासीर हो अथवा वादी हो फूलगोभी का दोनों प्रकार की बवासीर में सेवन करना लाभकारी होता है।

 

पेशाब की जलन:

 

पेशाब की जलन के रोग में फूलगोभी की सब्जी खाना उपयोगी होता है।

 

कोलायटिस, कैंसर, ग्रहणीव्रण:

 

सुबह के समय खाली पेट आधा कप गोभी का रस पीने से कोलायटिस, कैंसर, ग्रहणीव्रण रोग ठीक होने लगते हैं।

 

कब्ज:

 

रात को सोते समय गोभी का रस पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है।

 

रक्तशोधक (खून को साफ करना):

 

शरीर में खून में किसी प्रकार का दोष या खराबी उत्पन्न होने पर शरीर में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे- खुजली, सफेद दाग और त्वचा के रोग, नाखून तथा बालों के रोग आदि। गोभी में खून को साफ करने तथा इसके दोष को दूर करने की शक्ति पाई जाती है क्योंकि इसमें सल्फर, क्लोरीन का मिश्रण, म्यूकस तथा मेमरिन आदि तत्व पाए जाते हैं। ये सभी क्षार शरीर व खून को साफ करते हैं।

 

रक्तशोधक (खून को साफ करना):

 

हडि्डयों के दर्द को दूर करने के लिए गोभी के रस में बराबर मात्रा में गाजर का रस मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है। गोभी के रस से एनिमा क्रिया करने पर गैस नहीं बनता है तथा इसके रस पीने से जोड़ों और हडि्डयों का दर्द, अपच, आंखों की कमजोरी और पीलिया ठीक हो जाते हैं।

 

बुखार:

 

गोभी की जड़ को चावल में पकाकर सुबह और शाम सेवन करने से लाभ होता है।

 

बवासीर (अर्श):

 

जंगली गोभी का रस निकालकर उसमें काली मिर्च तथा मिश्री मिलाकर पीने से बवासीर के मस्सों से खून का स्राव होना तुरन्त बंद हो जाता है।

 

पेट में दर्द:

 

गोभी के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) को चावल के पानी में पकाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

 

पीलिया:

 

फूल गोभी का रस एवं गाजर का रस समान मात्रा में एक-एक गिलास तीन बार पीने से पीलिया में लाभ मिलता है।

 

गले की सूजन:

 

गोभी के पत्तों का रस निकालकर दो चम्मच पानी में मिलाकर सेवन करें।

 

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